y v चंद्रचूड़  को सीधे सुप्रीम कोर्ट का जज बनाना चाहते थे,लेकिन इन वकीलों ने उनका ऑफर ठुकरा दिया था

y v चंद्रचूड़  को सीधे सुप्रीम कोर्ट का जज बनाना चाहते थे,लेकिन इन वकीलों ने उनका ऑफर ठुकरा दिया था

Jun 29, 2024 - 17:47
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y v चंद्रचूड़  को सीधे सुप्रीम कोर्ट का जज बनाना चाहते थे,लेकिन इन वकीलों ने उनका ऑफर ठुकरा दिया था

जस्टिस y v चंद्रचूड़ को कौन नहीं जानता  होगा यहां हर कोई जानता होगा उन्हें आज हम उनसे जुड़ी कुछ रोचक बात बताएंगे

जी हा हम बात करेंगे 4 ऐसे वकीलों के बारे में जिनको y v चंद्रचूड़  को सीधे सुप्रीम कोर्ट का जज बनाना चाहते थे,लेकिन इन वकीलों ने उनका ऑफर ठुकरा दिया था क्या आप जानते है क्यों 
नमस्कार मैं हु आस्था स्वागत है आपका आप देख रहे है खबर आप तक
जस्टिस चंद्रचूड़ से पहले साल 1966 में बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एसपी कोतवाल ने फली एस. नरीमन को हाईकोर्ट का जज बनने का ऑफर दिया था.

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भारत में तमाम ऐसे वकील हुए, जिन्होंने जज से भी ज्यादा नाम कमाया. जज बनने का मौका भी मिला, पर ठुकरा दिया. उदाहरण के तौर पर राम मंदिर का मुकदमा लड़ने वाले सीनियर एडवोकेट के. पारासरन.  बॉम्बे हाईकोर्ट के लॉयर और कई किताबों के लेखक अभिनव चंद्रचूड़ पेंगुइन से प्रकाशित अपनी किताब ”सुप्रीम व्हिस्परर्स” (Supreme Whispers) में लिखते हैं कि 70 के दशक में तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया वाईवी चंद्रचूड़ ने चार दिग्गज वकीलों को सुप्रीम कोर्ट की जजशिप ऑफर की थी, पर उन्होंने ठुकरा दियाइसमें के. पारासरन (जो तब तमिलनाडु के एडवोकेट जनरल थे), फली एस. नरीमन, एसएन काकेर और केके वेणुगोपाल (जो बाद में भारत के अटार्नी जनरल बने) शामिल थे. सीजेआई वाईवी जस्टिस चारों वकीलों को सीधे बार से सुप्रीम कोर्ट में अप्वॉइंट करना चाहते थे, लेकिन चारों ने इनकार कर दिया. यहां तक कि जस्टिस चंद्रचूड़ अपने दो सीनियर मोस्ट कलीग्स- जस्टिस पीएन भगवती और जस्टिस कृष्णा अय्यर के साथ इन वकीलों से मिले भी.

 पर वे जजशिप एक्सेप्ट करने को तैयार नहीं हुए.उस दौर में सुप्रीम कोर्ट की जजशिप ठुकराने की सबसे प्रमुख वजह जजों को मिलने वाली कम सैलरी थी. जस्टिस चंद्रचूड़ से पहले साल 1966 में बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एसपी कोतवाल ने फली एस. नरीमन को हाईकोर्ट का जज बनने का ऑफर दिया था. उस वक्त नरीमन की उम्र सिर्फ 38 साल थी. चीफ जस्टिस कोतवाल को तत्कालीन CJI जे.सी. शाह से स्पेशल परमिशन भी लेनी पड़ी थी. हालांकि इसके बावजूद नरीमन ने ऑफर स्वीकार नहीं किया

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उन्होंने खुद कहा कि आर्थिक कारणों से जजशिप नहीं ली. उस वक्त हाई कोर्ट के जज की मंथली सैलरी ₹3500 हुआ करती थी. इससें नरीमन, उनकी पत्नी, दो बच्चों और माता-पिता का खर्च चलाना मुश्किल था. इसके कहीं ज्यादा वकालत कमाते थे. अभिनव लिखते हैं कि नरीमन जब 58 साल के हुए तब वाईवी चंद्रचूड़ ने उनको सुप्रीम कोर्ट में लाने का प्रयास किया. अगर उन्होंने ऑफर एक्सेप्ट कर लिया होता तो वह देश के चीफ जस्टिस बनते. करीब 9 साल तक इस पद पर रहते.

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