पत्रकारों के खिलाफ पूर्व सीएम के बिगड़े बोल
पत्रकारों और कांग्रेस के बीच बनी तनाव की स्थिति
जबलपुर के बाद इंदौर में मीडिया पर भड़के कमलनाथ, धक्का देकर भगाने की बात कही
इंदौर। पूर्व सीएम व पीसीसी चीफ कमलनाथ के बोल मीडिया के प्रति कई दिनों से आपत्ति जनक जान पड़ रहे है। वह शनिवार को इंदौर में मातंग समाज के कार्यक्रम में पहुंचे। इस दौरान उन्होंने मीडिया वालों पर भड़क उठे और उन्होंने पत्रकारों को धमकी दे डाली। कमलनाथ ने खुले मंच से कहा कि धक्का देकर भगाओ पत्रकारों को। वो यही नही रुके उन्होंने यहां तक कह तक कह डाला कि समाज पत्रकार समाज का कार्यक्रम बिगड़ने आए हैं। इसके बाद कमल नाथ के अंगरक्षकों ने पत्रकारों को धक्का देकर भगा दिया। इसके बाद मीडिया ने पूर्व सीएम के कार्यक्रमों का बहिष्कार करने का ऐलान किया।
पूर्व सीएम कमलनाथ के बोल कोई पहली बार नही बिगड़े, इसके पूर्व तीन दिन पहले जब वो जबलपुर आए हुए थे, वहा भी उन्होंने मीडिया के साथ दुर्व्यवहार किया था। अर्थात मीडिया के बारे में अपशब्दों का प्रयोग करना उनकी आदत में शुमार है।
तनाव की स्थिति निर्मित
इस घटनाक्रम के बाद पत्रकारों और कांग्रेस के बीच में तनाव की स्थिति बन गई है। मध्य प्रदेश के ज्यादातर पत्रकार, कमलनाथ की चाय के बिना ही, कांग्रेस पार्टी को फायदा पहुंचाने वाली पत्रकारिता कर रहे थे। वह कमलनाथ में मध्य प्रदेश का नया मुख्यमंत्री देख रहे थे, परंतु इस घटनाक्रम के बाद परिस्थितियों बदलने लगी है। प्रश्न यह नहीं है कि पत्रकार ने कौन सा गलत सवाल पूछ लिया, बल्कि प्रश्न यह है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का दावेदार क्या इतना संयम भी नहीं रख सकता। आज कार्यक्रम में धक्के देकर भगाया है। कल जेल भेज सकते हैं। इस घटनाक्रम के बाद एक बात स्पष्ट हो गई कि, सवाल ना तो इस तरफ वालों को पसंद है और ना ही उसे तरफ वालों को। तीखे सवाल सबको बुरे लगते हैं और पार्टियों द्वारा वित्त पोषित पत्रकार, अपने सम्मान और हितों की रक्षा के लिए भी संगठित नहीं हो पाते।
कमलनाथ- ना मुंह में शक्कर ना पैर में चक्कर
कहा जाता है कि कमलनाथ के पास 40 साल का पॉलिटिकल एक्सपीरियंस है, परंतु उनके अंदर राजनीति का सबसे पहला गुण "मुंह में शक्कर पैर में चक्कर" 10% भी दिखाई नहीं देता। उनको कभी भी गुस्सा दिलाया जा सकता है। स्पष्ट दिखाई देता है कि उनकी सहनशक्ति काफी कम है। वह अप्रत्याशित सवालों से घबराते हैं। खासकर ऐसे पत्रकारों से उन्हें डर लगता है जिनसे उनकी पहले कभी मुलाकात नहीं हुई। हादसे और प्राकृतिक आपदाओं के मामले में भी कमलनाथ दौड़कर जनता के बीच नहीं जाते। मध्य प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर उन्होंने एक लंबा कार्यकाल बिताया है परंतु कभी भी तत्काल जनता के बीच नहीं पहुंचे। कई बार तो ऐसा हुआ कि जब तक नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ अपने दौरे की योजना बना रहे थे तब तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दौरा करके लौट आए।
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