भाजपा का मकसद मंदिर बनाना नही, मस्जिद गिराना था: दिग्विजय

लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा

Jan 17, 2024 - 22:56
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भाजपा का मकसद मंदिर बनाना नही, मस्जिद गिराना था: दिग्विजय

संवैधानिक अधिकार खत्म कर रही भाजपा

रीवा। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह हमेशा अपने बयानों के चलते सुर्खियों में बने रहते है। वह बुधवार को रीवा पहुंचे और पत्रकारों से वार्ता के दौरान उन्होंने कहा की भाजपा का मकसद मंदिर निर्माण नहीं, बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराना था। पत्रकारों ने जब ये कहा की भाजपा ने राम मंदिर निर्माण की बात कही थी, वो पूरी हो रही है?' के जवाब में उन्होंने कहा, 'भाजपा का मकसद मंदिर निर्माण का नहीं था।'

एक सवाल के जवाब में दिग्विजय ने कहा, की भाजपा ने कभी राम के नाम पर वोट मांगा तो कभी बजरंगबली के नाम पर लेकिन कांग्रेस ने कभी नही। 

    पूर्व मुख्यमंत्री श्री सिंह ट्रेन से रीवा पहुंचे। ट्रेन एक घंटे देरी से पहुंची। इस पर उन्होंने पत्रकारों से कान पकड़कर माफी मांगी।उनके रीवा आने का मकसद लोकसभा चुनाव की तियारी को लेकर माना जा रहा है। 

   पत्रकारों से वार्ता के दौरान उन्होंने कहा की वर्तमान में लोकतंत्र और संविधान दोनो खतरे में है। अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकार खत्म करने का षण्यंत्र भाजपा द्वारा रचा जा रहा है। अल्पसंख्यक, सिख, ईसाई, जैन सब असुरक्षित महसूस कर रहे है। धर्म के नाम पर राजनीति की जा रही है। जबकि सभी धर्मो को सम्मान देना चाहिए। सभी धर्म बराबर है।

विश्व कल्याण यह देश मूल रूप से धार्मिक है। हर धर्म का सम्मान करना हमारे सनातन धर्म  सिखाता है। वर्तमान में सरकार मनमानी पर उतारू हो गई है। लोकसभा - राज्यसभा में बिना चर्चा के बिल पास किए जा रहे हैं। हालाकि आने वाले चुनाव में जनता इन्हे सबक सिखाएगी।कांग्रेस की लगातार हार और कुछ राज्यों तक सीमित हो जाने के पीछे कौन जवाबदार है? इस पर दिग्विजय ने कहा, 'मैं टॉप लीडरशिप को जिम्मेदार नहीं मानता। इसके लिए मेरे जैसा हर कांग्रेस कार्यकर्ता जिम्मेदार है। मध्यप्रदेश में हार के कई कारण सामने आए हैं। उन्होंने ईवीएम पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि अगर जनता मांग करे कि इसका बहिष्कार करो तो इस पर विचार कर सकते हैं।

    श्री सिंह ने नव निर्मित संसद भवन पर भी चुटकी ली। बोले की भाजपा कहती थी की नए संसद भवन में परिंदा पर नही मार सकता। लेकिन हुआ क्या। दो

बेरोजगार घुस गए नई लोकसभा में। सुरक्षा व्यवस्था की पोल खुल गई। वहां दो बेरोजगार युवाओं ने सदन में घुसकर गैस छोड़ दी। यह तो अच्छी बात रही कि गैस नॉन पॉइजनस थी। अगर युवकों ने जहरीली गैस छोड़ दी होती तो उस वक्त सदन में जितने भी नेता थे, वो पांच मिनट में ही मर सकते थे। देश के गृहमंत्री और प्रधानमंत्री को इस पर जवाब देना चाहिए था कि इतनी बड़ी घटना कैसे हुई। लेकिन इस पर कोई चर्चा तक नही हो रही।

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