किडनी ट्रांसप्लांट शुरू करने में लगेगा ग्रहण, रिजाइन करने के मूड में नेफ्रोलॉजिस्ट
मरीजों के लिए खड़ी होगी भारी मुसीबत
विंध्यवासियो की उम्मीदों पर फिरेगा पानी, धरी की धरी रह जायेगी किडनी ट्रांसप्लांट की योजना
श्यामसाह मेडिकल कॉलेज को लगेगा झटका, नेफ्रोलॉजी के डॉक्टर दे सकते है इस्तीफा
रीवा। श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय के घटिया प्रबंधन के चलते विंध्य वासियों की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। एक ओर जहा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के चिकित्सको ने अपनी काबिलियत के बल पर केवल विंध्य ही नही अपितु पूरे प्रदेश भर में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को अव्वल दर्जा दिलाया है वही अब प्रबंधन की घोर लापरवाही के चलते यहां के चिकित्सको का मोह भंग होता जा रहा है। अभी तक एक एक करके केवल हृदय रोग विशेषज्ञ ही नौकरी छोड़कर जा रहे थे अब यहाँ पदस्थ एक मात्र नेफ्रोलॉजिस्ट ने भी नौकरी छोड़ने की पूरी तैयारी कर ली है। विश्वस्त सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि उन्होंने रिजाइन लेटर तक तैयार कर लिया है जो किसी भी वक्त डीन की टेबल तक पहुंच सकता है। ऐसे में किडनी ट्रांसप्लांट की योजना जो पूरे प्रदेश के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही थी, धरी की धरी रह जायेगी और विंध्य वासियों की उम्मीदें ध्वस्त होती नजर आएंगी।
गौरतलब है कि यहां के स्थानीय विधायक वर्तमान पीएचई एवम जनसंपर्क मंत्री राजेंद्र शुक्ला की कड़ी मेहनत और संघर्ष के चलते विंध्य वासियों को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के रूप में सौगात मिली थी। जब से यहां सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का संचालन शुरू हुआ तब से यहा हृदय रोगियों, मूत्र रोगियों और न्यूरो रोगियों को बेहतर उपचार की सुविधा मिलना शुरू हो गया। यहां के मरीजों का उपचार के लिए पलायन पूरी तरह से थम सा गया था। यहां पदस्थ डॉक्टरों ने मरीजों के उपचार में दिनरात मेहनत की और मरीजों को उपचार की सुविधा दे रहे है लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रबंधन अब इन डॉक्टरों का ही शोषण करना शुरू कर दिया है। जिस करार के साथ इन चिकित्सको को यहां लाया गया था, उन्हे पूरा ही नही किया जा रहा है। इस बात से आहत चिकित्सक एक एक करके रिजाइन देकर नौकरी छोड़ रहे है। अब नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर रोहन द्विवेदी का नाम भी रिजाइन करने वालो में शामिल हो सकता है। उनके जाते ही मरीजों की होने वाली डायलिसिस पूरी तरह से ठप्प हो जायेगी। जबकि वह रीवा ही नही पूरे विंध्य में एक मात्र नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर है।
प्रति माह होती है एक हजार डायलिसिस
बता दे की नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर रोहन द्विवेदी द्वारा प्रति माह एक हजार से अधिक किडनी मरीजों की डायलिसिस की जा रही है जो अपने आप में एक रिकार्ड है। प्रदेश के अन्य सुपर स्पेशलिटी अस्पतालो में इतनी डायलिसिस नही होती जितनी रीवा के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में की जा रही थी। इनकी काबिलियत के बल पर ही अब यहां मरीजों के लिए किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा भी प्रदान करने की योजना भी चल रही थी। यहां तक कि इसके लिए चिकित्सको एवम टेक्निकल स्टाफ को ट्रेनिंग भी दिलाया जा चुका है। ऐसे में डॉक्टर रोहन द्विवेदी का रिजाइन करना किडनी ट्रांसप्लांट की योजना धराशाई हो जायेगी।
कार्डियक और यूरो ट्रीटमेंट मे भी पड़ेगा असर
बता दे की नेफ्रोलॉजिस्ट के जाते ही हृदय रोगियों एवम मूत्र रोगियों के उपचार में भी काफी असर पड़ेगा क्योंकि कई मरीजों की किडनी में समस्या रहती है ऐसे में कार्डियोलॉजिस्ट, कार्डियक सर्जन और यूरोलॉजिस्ट चिकित्सको द्वारा किडनी चिकित्सक की मदद ली जाती हैं। जब अस्पताल में नेफ्रोलॉजिस्ट चिकित्सक ही नही रहेंगे तो जाहिर है कि हृदय रोगियों और मूत्र रोगियों के उपचार में भी इसका खासा असर पड़ेगा।
रोज हो रही एंजियोप्लास्टी, एंजियोग्राफी
बता दे की सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हृदय रोगियों की रोज एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी की जा रही है। ऐसे मरीजों को उपचार देने मे भी यहा के चिकित्सको ने प्रदेश भर में अव्वल दर्जा हासिल किया है, नेफ्रोलॉजिस्ट के जाने से अब इस पर प्रभाव पड़ना लाजमी है।
नही दिया जा रहा इंसेंटिव
जानकारी के मुताबिक मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टरों को इंसेंटिव देने का करार किया गया था, अब उसे भी देने में आनाकानी की जा रही है। साथ ही पेड ओपीडी और आयुष्मान योजना के हितग्राहियों का उपचार के दौरान चिकित्सको को मिलने वाला कमीशन भी देने में घोर लापरवाही की जा रही है। इस तरह की अन्य कई और लापरवाही चिकित्सको के प्रति की जा रही है जिससे आहत होकर एक एक करके चिकित्सक रिजाइन करके बाहर जा रहे है। यदि इसी तरह का रवैया जारी रहा तो जल्द ही सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बंद होने की कगार में पहुंच जाएगा और विंध्य वासियों की उम्मीदों में एक बार फिर पानी फिरता नजर आएगा।
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