दलाली का शिकार हुआ सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, बदहाल हुई उपचार व्यवस्था, इक्यूपमेंट तक उपलब्ध नहीं करा प्रबंधन
नही हो रहे बड़े ऑपरेशन
चिकित्सक हुए परेशान, नौकरी छोड़ने को किया जा रहा मजबूर
रीवा।
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल इन दिनो दलाली का शिकार हो गया है। यहां की उपचार व्यवस्था को बदहाल करने में लोग लगे हुए हैं। कमिशन की लालच में यहां के मरीजों को बाहर के बड़े अस्पतालों के लिए रेफर किया जा रहा है। इतना ही नहीं यहां पदस्थ चिकित्सको पर ऐसा दबाव बनाया जा रहा है की वो सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में किसी प्रकार की हार्ट सर्जरी तक न कर पाए। इससे बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है कि पिछले 11 माह से एक भी हार्ट सर्जरी नही हुई है। ऐसे में मरीज मजबूरी में उपचार के लिए बाहर बड़े शहरों में जा रहे है। जहा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के संचालित होने से यहां के मरीजों को बड़ी राहत मिल रही थी, लेकिन दलाली ने ऐसा जोर पकड़ा कि यह की उपचार व्यवस्था को पूरी तरह से बदहाल ही कर दिया है।यह संस्थान केवल एसजीएमएच की तरह रेफरल सेंटर बन कर रह गया है। ताज्जुब तो यह है कि सुपर स्पेशलिटी में 11 महीनों से एक भी दिल के ऑपरेशन नहीं हुए हैं। ओपन हार्ट, बायपास और वाल्व रिप्लेसमेंट के लिए उपकरण ही नहीं है। टीम तक प्रबंधन तैयार नहीं कर पाया है।
अस्पताल में ताला लगाने की तैयारी
रीवा जिले का ऐसा चिकित्सा संस्थान जहा दिल के मरीजों का उपचार करने के मामले में पूरे प्रदेश भर में शीर्ष स्थान हासिल किया था, आज वहा ताला लगने की स्थिति निर्मित हो चुकी है। समय था जब कार्डियक विभाग में डॉक्टरों की भरमार थी। अब एक एक कर सब छोड़ रहे हैं। कई डॉक्टरों ने तौबा कर ली है। अब जो बचे हैं। उन्हें भी काम करने नहीं दिया जा रहा है। यहां कार्डियोलॉजी विभाग में ऑपरेशन के लिए उपकरण और स्टाफ तक उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। अब वह अस्पताल ऑपरेशन नहीं कर पा रहा है। 11 महीनों से एक भी दिल का ऑपरेशन नहीं हुआ है। छोटे मोटे ऑपरेशन करके ही लोगों की उम्मीदों को बांधे हुए हैं। अस्पताल की सेवाएं पूरी तरह से ठप पड़ गई है। सीटीवीएस विभाग के पास एक भी काम ही नहीं है। पेसमेंकर इम्प्लांट कैथलैब में कैथेटर बेस्ड प्रोसीजर से किए जा रहे हैं। बड़े ऑपरेशन बंद है। अब इससे सुपर स्पेशलिटी की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है। गंभीर बात तो ये है कि बाहर से ऑपरेशन कराकर लाखों गवांने के बाद भी कई मरीज फिर से सुपर में भर्ती हैं। इन्हें सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। डॉक्टर हैं लेकिन स्टॉफ और उपकरण की कमी के कारण ऑपरेशन नहीं कर पा रहे हैं। हालात ऐसे ही रहे तो सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में ताला लगना तय है।
17 जनवरी के बाद अब तक नही हुई सर्जरी
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में अंतिम दिल की सर्जरी 17 जनवरी 2023 को सीटीवीएस सर्जन द्वारा दिल का ऑपरेशन किया गया था। इसके बाद से विभाग के डॉक्टरों के पास कोई काम ही नहीं आया। ऐसा नहीं है कि सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में मरीज नहीं आ रहे। केस पर्याप्त हैं लेकिन उपकरण और कार्डियक एनेस्थीसियोलॉजिस्ट की कमी के कारण सब कुछ ठप है।
नही हो रहे बड़े ऑपरेशन
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में ओपन हार्ट सर्जरी, वाल्व रिस्पेसमेंट, बायपास सर्जरी, बच्चों के दिल का ऑपरेशन, दिल में छेंद का आपेरशन, नहीं हो रहा है। इसके अलावा फेफड़ों में गांठ, लंग्स का कैंसर का ऑपरेशन भी यहां संभव है लेकिन उपकरण के आभाव और स्टाफ की कमी के कारण सब ठप है। योग्य डॉक्टर हैं लेकिन उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है। सिर्फ मरीजों की जांच तक ही सीमित है।
15 ओपन हार्ट सर्जरी भी हुई
ये पूरे विंध्य के लिए गौरव की बात ये रही की यहां संचालित सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के चिकित्सको ने इसके पूर्व 15 ओपन हार्ट सर्जरी भी कर चुके है और अधिकांश मरीज स्वस्थ्य भी हुए है, लेकिन अब दलालों की ऐसी काली छाया पड़ी कि पूरी व्यवस्था ही बदहाल कर दी।
सिर्फ यह काम हो रहे हैं
फिलहाल यहा पदस्थ चिकित्सको द्वारा सुपर स्पेशलिटी में छोटे छोटे ऑपरेशन किए जा रहे हैं। यह आपेरशन कैथ लैब में कार्डियोलॉजिस्ट ही कर लेते हैं। कार्डियोलाजिस्ट कैथ लैब में ही कैथेटर बेस्ड प्रोसीजर से पेसमेकर इम्प्लांट जैसे ऑपरेशन कर रहे हैं। इसी से सुपर स्पेशलिटी के कार्डियक विभाग को बचा कर रखा जा रहा है। इसके अलावा सीटीवीएस सर्जन जो ऑपरेशन ओटी में करते हैं, वह सारी प्रक्रिया बंद है।
बेकाम हो गए हार्ट सर्जन
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में सीटीवीएस सर्जन भी हैं, जो हर तरह के दिल के ऑपरेशन करने में सक्षम हैं। यहां दो डॉक्टर हैं। दोनों ही योग्य है, लेकिन इन्हे निष्काम कर दिया है। इनका उपयोग अस्पताल प्रबंधन नहीं कर पा रहा है। महत्वपूर्ण तथ्य ये है कि बच्चों के दिल का ऑपरेशन भी रीवा में संभव है। लेकिन नही किया जा रहे, ऑपरेशन के लिए बच्चो को बाहर भेज दिया जाता है। जबलपुर, भोपाल, इंदौर रेफर किया जाता है। बच्चों के दिल का ऑपरेशन सिर्फ इक्यूपमेंट की कमी के कारण नहीं हो पा रहा है। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन उपकरण और ऑपरेशन में लगने वाले सामान ही नहीं दिला पाता।
कैंसर के मरीजों का उपचार भी संभव
काबिलेगौर यह है की यदि सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की समस्याएं खत्म हो जाएं। पर्याप्त स्टाफ और इक्यूपमेंट उपलब्ध हो जाए तो यहां लंग्स कैंसर के भी ऑपरेशन संभव है। फेफड़ों की गांठ का ऑपरेशन भी सीवीटीएस के सर्जन कर सकते हैं। वर्तमान में डॉक्टर दिमाग, हाथ पैरों की दबी नसों का ही ऑपरेशन कर पा रहे हैं।
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