यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस के बाक़ी पड़ोसी देशों को क्या है डर?

यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस के बाक़ी पड़ोसी देशों को क्या है डर?

Sep 14, 2023 - 12:13
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यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस के बाक़ी पड़ोसी देशों को क्या है डर?

अग्रिम पंक्ति के लिए सॉना...यह पैसे जुटाने के लिए बनाया गया कोई नारा नहीं है. एक ऐसा नारा जो यूक्रेन में युद्ध के लिए सुनने की उम्मीद करते हैं.

आप समझ सकते हैं कि यूक्रेन अपने सहयोगियों से लंबी दूरी की मिसाइलों और एफ-16 लड़ाकू विमानों की मांग कर रहा है. लेकिन सौना?

एस्टोनियाई फिल्म निर्माता और मानवतावादी कार्यकर्ता इल्मर राग ने लगातार यूक्रेन की यात्राएं की हैं. वो यूक्रेन के सैकड़ों सैनिकों के लिए मोबाइल सौना यूनिट बना रहे हैं. इसके लिए उन्होंने क्राउड फंडिंग की है.

इस सौना में सैनिकों के लिए शॉवर और वॉशिंग मशीन की सुविधा है. उन्हें रूसी गोलाबारी से बचाने के लिए सावधानीपूर्वक छिपाया जा सकता है.

यदि आप ऐसे किसी कस्टमाइज्ड सॉना की तलाश में हैं, तो किसी एस्टोनियाई से पूछना ठीक रहेगा. वहां सॉना संस्कृति बहुत बड़ी है.

एस्टोनियाई सैनिक मोबाइल सॉना के बिना बहुत कम ही यात्रा करते हैं. यह उनके अफगानिस्तान और लेबनान के मिशन में भी शामिल था.

यह करीब 100 साल पुरानी सैन्य परंपरा है. यह वोल्शेविकों के साथ एस्टोनिया की लड़ाई के दौरान शुरू हुई थी. उस दौरान वहां की राष्ट्रीय रेलवे ने लड़ाई के मोर्चे के पास एक सॉना ट्रेन लगाई थी, जिससे हफ्तों से खाई में रह रहे सैनिक नहा-धो सकें.

रागा कहते हैं कि उन्होंने यूक्रेनी सैनिकों के बारे में सुना है, जो कई दिनों या यहां तक ​​कि हफ्तों तक बिना अपने जूते धोए या उतारे रहते हैं. इसका वर्णन करते हुए बखमुत के पास एक फ्रंट-लाइन कमांडर ने मुझे फेसटाइम पर बताया था कि 'एस्टोनियाई सॉना स्वर्ग से भेजी सौगात है'

रूस के पड़ोसी देशों में से कई यूरोपीय संघ और नेटो के सदस्य हैं, वहां के कई लोग यूक्रेन की मदद के लिए आगे आ रहे हैं.

एस्टोनिया और उसके बाल्टिक पड़ोसी देश लातविया और लिथुआनिया पर सोवियत संघ ने द्वितीय विश्व युद्ध के तुरंत बाद कब्जा कर लिया था. यह कब्जा दशकों तक रहा. उनका कहना है कि वे रूसी आक्रमण पर यूक्रेन के दर्द को महसूस करते हैं.

इन देशों ने अमेरिका और ब्रिटेन सहित किसी भी अन्य देश की तुलना में अपनी अर्थव्यवस्था के आकार की तुलना में अधिक मदद दी है. जब दीर्घकालिक प्रतिबद्धताओं की बात आती है तो केवल नॉर्वे ही उनसे आगे नजर आता है.

जर्मनी का प्रतिष्ठित कील इंस्टीट्यूट युद्ध की शुरुआत से ही यूक्रेन को मिली सभी तरह की मदद पर नजर रख रहा है.

इस संगठन के ताजा आंकड़ों के मुताबिक लिथुआनिया के ड्रिफ्टिंग के राष्ट्रीय चैंपियन गेडिमिनस इवानौस्कस, रूस के हमले के पहले दिन से ही नागरिकों को निकालने में मदद करने के लिए यूक्रेन चले गए थे.

जब वो मुझे वहां की पीड़ा के बारे में बता रहे थे तो उनकी आंखों में आंसू थे. मदद करने की उनकी इच्छा, अंतरराष्ट्रीय सहायता प्रयासों की धीमी गति से पैदा हुई निराशा और मोटर से चलने वाली चीजों में उनकी दिलचस्पी ने उन्हें दर्जनों वाहनों के लिए क्राउड-फंडिंग करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने ग्रामीण लिथुआनिया में किराए के गैरेज में इन्हें तैयार किया. इनमें से कुछ को उन्होंने यूक्रेन की सेना के लिए चार पहिया एंबुलेंस के रूप में तैयार किया.

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