1 जुलाई से बदल जाएंगी आईपीसी की तमाम धाराएं,सीएम मोहन यादव ने कहा कि इसका पालन करेंगे हम
1 जुलाई से बदल जाएंगी आईपीसी की तमाम धाराएं,सीएम मोहन यादव ने कहा कि इसका पालन करेंगे हम
एक जुलाई से भारतीय दण्ड संहिता की तमाम धारायें बदल जायेगी; नई धाराआंे का प्रयोग षुरू हो जायेगा; इस पर मध्यप्रदेष के सीएम डॉ मोहन यादव ने कहा कि लागू हो रही नई धाराओं का हम अक्षरषः पालन करंेगे; उन्होने कहा कि समान नागरिक संहिता को लेकर जैसे-जैसे अनुमति मिलेगी, राज्य लागू करते जाएंगे। यह विषय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने है। अभी उत्तराखंड को अनुमति मिली है तो उन्होंने लागू किया है। सीएम मोहन यादव ने यह भी कहा कि भारतीय दंड संहिता के स्थान पर प्रधानमंत्री ने भारतीय न्याय संहिता लागू करने का निर्णय करके भारतीय न्याय परंपरा को पुनर्स्थापित किया है।
संविधान में अनुच्छेद-44 में धर्मनिपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य का जिक्र
संविधान में अनुच्छेद 44 में भारत में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून का प्रावधान लागू करने की बात कही गई है। इसके अलावा संविधान की प्रस्तावना में भी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य का जिक्र किया गया है।
जानिये कॉमन सिविल कोड का इतिहास
यह बात हर किसी को जाननी चाहिए कि कॉमन सिविल कोड मे क्या कहा गया है; बता दंे कि कॉमन सिविल कोड को लेकर 1835 में ब्रिटिश सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अपराधों, सबूतों और कॉन्ट्रैक्ट जैसे मुद्दों पर समान कानून व्यवस्था लागू की जानी चाहिए। वहीं इसी रिपोर्ट में हिंदू-मुसलमानों के धार्मिक कानूनों से छेड़छाड़ की बात नहीं की गई है। इसके बाद 1941 में हिंदू कानून पर संहिता बनाने के लिए बीएन राव की समिति भी बनाई गई और और हिंदुओं, जैनियों व सिखों के उत्तराधिकार मामलों में कई सुधार किए गए।
समान नागरिक संहितारू गोवा क्यों बना मिसाल
समान नागरिक संहिता को लेकर देश में भले ही विवाद की स्थिति हो, लेकिन इस मामले में गोवा देश के लिए मिसाल बना हुआ है। गोवा में साल साल 1965 से ही समान नागरिक कानून लागू है। गोवा में उत्तराधिकार, दहेज और विवाह के संबंध में हिन्दू, मुस्लिम और क्रिश्चियन सभी अन्य धर्मों के लिए पूरे राज्य में एक ही कानून लागू है। वहीं गोवा में यदि कोई मुस्लिम अपनी शादी का पंजीयन कराता है तो उसे बहुविवाह करने की अनुमति नहीं है। गोवा में जन्मा कोई भी व्यक्ति एक से ज्यादा विवाह नहीं कर सकता है। यही कारण है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समान नागरिक संहिता का विरोध कर रहा है। यदि देशभर में लागू हो जाता है तो मुसलमानों को 3 शादियां करने का अधिकार नहीं रहेगा।
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