देश के बड़े चिकित्सा संस्थानों में जुड़ गया रीवा के सुपर स्पेशलिटी का नाम, विश्व की सर्वोच्च तकनीकी से इंप्लांट किया पेसमेकर

मेडिकल कॉलेज के डीन एवम अस्पताल अधीक्षक सहित समस्त स्टाफ ने दी बधाई

Nov 21, 2023 - 19:05
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देश के बड़े चिकित्सा संस्थानों में जुड़ गया रीवा के सुपर स्पेशलिटी का नाम, विश्व की सर्वोच्च तकनीकी से इंप्लांट किया  पेसमेकर

विश्व की सर्वोच्च तकनीकी से पेसमेकर इंप्लांट करके सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने फिर रचा इतिहास

LBB PACING करके बचा ली मरीज की जान

रीवा। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने विश्व की सर्वोच्च तकनीकी द्वारा अत्यंत जटिल प्रोसीजर करके एक बार इतिहास रच दिया है। अब तक करीब 6000 से ज्यादा मरीजों की जान बचाई जा चुकी है। बता दे कि डॉक्टर एसके त्रिपाठी सह प्राध्यापक कार्डियोलॉजी ने विश्व की नवीनतम तकनीकी LBB PACING करके एक सप्ताह में 2 मरीजों की जान बचाई। इस तरह की आधुनिक तकनीकी द्वारा मरीजों का उपचार देश के गिने चुने सेंटर में ही किए जाते हैं।रीवा के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के चिकित्सक डॉक्टर एसके त्रिपाठी ने सराहनीय कार्य करके एक बड़ी उपलब्धि श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के खाते में लाई है। उनके द्वारा किए गए इस उल्लेखनीय कार्य के लिए मेडिकल कॉलेज के डीन एवम समस्त प्रोफेसर, चिकित्सको ने बधाई प्रेषित किया है। 

         इस संबंध में डॉक्टर एसके त्रिपाठी ने बताया कि सामान्यतः जो पेसमेकर मरीजों को लगाए जाते हैं उनमें पेसमेकर लीड हृदय के एक चौंबर में इंप्लांट की जाती है जिससे भविष्य में हृदय की पंपिंग कम होने का खतरा बना रहता है। LBB PACING तकनीक में पेसमेकर की लीड हृदय के कंडक्शन सिस्टम में फिक्स की जाती है जिससे हृदय बिलकुल सामान्य तरीके से धड़कता है। यही कारण है कि इसमें हृदय की पंपिंग कम होने का खतरा नही होता और जिन मरीजों की पंपिंग पहले से कम है वो समय के साथ इस तकनीक से इंप्रूव भी होती है। 

   

दोनो मरीज रीवा निवासी है

 जानकारी के मुताबिक जिन दोनो मरीजों का आधुनिक तकनीकी से उपचार किया गया है, दोनो रीवा के ही निवासी है। इन्हे बार बार चक्कर एवम बेहोसी आने की परेशानी थी। परिजन लेकर इन्हे के साथ डॉ. एस के त्रिपाठी के पास लाए। डॉ. त्रिपाठी ने तुरंत ईसीजी एवम ईको करके पाया की उनके हृदय के CONDUCTION SYSTEM या सामान्य भाषा में हृदय की वायरिंग में समस्या है। तब दोनो मरीजों का पेसमेकर नवीनतम तकनीक से करने का प्लान बनाया । इसके लिए कैथलैब टीम को डॉ. त्रिपाठी ने प्रशिक्षित किया और दोनो प्रोसीजर सफलतापूर्वक संपन्न किए।अब मरीज पूरी तरह से स्वस्थ बताए गए हैं। प्रोसीजर को सफल बनाने में कैथ लब टेक्नीशियन जय नारायण मिश्र, सत्यम शर्मा, मनीष सुमन और नर्सिंग स्टाफ इंद्रभान मांझी एवं ओ.टी. नर्सिंग इंचार्ज पुष्पेंद्र की अहम भूमिका रही। विशेष बात यह है की यह प्रोसीजर देश के कुछ गिने चुने सेंटर में ही किए गए हैं, उस लिस्ट में अब रीवा का नाम भी सुनहरे अक्षरों में अंकित हो चुका है। इस पर अधीक्षक, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रीवा डॉ. अक्षय श्रीवास्तव द्वारा प्रथमतः यह उपरोक्त प्रोसीजर सुपर स्पेशलिटी चिकित्सालय में होने पर डॉ. एस.के. त्रिपाठी एवं उनकी टीम को बधाई दी गई एवं उत्कृष्ट चिकित्सकीय सेवायें प्रदान किये जाने के लिए प्रतिबद्धता जताई।

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