संजय गांधी अस्पताल के नाक, कान गला विभाग के डॉक्टरों ने अपनी काबिलियत का मनवाया लोहा
संजय गांधी अस्पताल के नाक, कान गला विभाग के डॉक्टरों ने अपनी काबिलियत का मनवाया लोहा
https://youtu.be/gVnpiNFjm_s?si=kzFPO_0h4v2MfBUF
संजय गांधी अस्पताल के नाक, कान गला विभाग के डॉक्टरों ने अपनी काबिलियत का मनवाया लोहा
उपचार के लिए अब दूसरे प्रदेष से भी आने लगे मरीज
झारखंड से आये मरीज का हुआ सफल उपचार
गले में थी डेढ किलो की गांठ, आपरेषन बाद मरीज स्वस्थ
विंध्य के सबसे बडे संजय गांधी अस्पताल में उपचार कराने न केवल रीवा, सीधी, सतना , सिंगरौली, कटनी और जबलपुर से मरीज आ रहे हैं अपितु अब दूसरे प्रदेष से भी मरीज आने लगे हैं; इसे अस्पताल के डॉक्टरों की काबिलियत ही माना जायेगा; कि दूसरे प्रदेषों से मरीज उपचार कराने रीवा के संजय गंाधी अस्पताल पहुच रहे हैं; बता दें कि एक महिला मरीज उपचार कराने झारखंड से रीवा पहुची जहां संजय गांधी अस्पताल के डॉक्टरों ने उसका उपचार किया और वह पूरी तरह स्वस्थ है;
जानकारी के मुताबिक सरस्वती देवी 80 वर्श निवासी झारखंड के गले में बडा सा टृयूमर था; जिसे परिजनों द्वारा कई अन्य अस्पतालो में ले जाया गया लेकिन वहां के डॉक्टरों ने हाथ खडे कर दिये; और किसी बडे संस्थान में उपचार कराने की सलाह देने लगे; इसी बीच परिजनों को किसी ने रीवा के संजय गांधी अस्पताल में उपचार कराने की सलाह दी; बात मान कर परिजन मरीज को रीवा के संजय गांधी अस्पताल लाये; जहां नाक कान गला विभाग के सर्जन डॉ मोहम्मद अषरफ ने मरीज की जांच कराई और आपरेषन की सलाह दी; परिजनों की सहमति पर डॉ मोहम्मद अषरफ ने आपरेषन टीम गठित की; तत्पष्चात मरीज की इंडोस्कोपिक सर्जरी की गई; बडी बात यह रही कि आपरेषन के दौरान बेवजह ब्लड नहीं निकला हालाकि एहतियात के तौर पर दो यूनिट ब्लड की व्यवस्था कर ली गई थी लेकिन जरूरत ही नहीं पडी; इस बडी सर्जरी के बाद मरीज पूरी तरह स्वस्थ है परिजनों में खुषी व्याप्त है; इस सफल सर्जरी के पीछे सर्जन डॉ मोहम्मद अषरफ ने अस्पताल प्रबंधन के प्रति आभार जताया है; कहा कि प्रबंधन द्वारा विभाग को आधुनिक उपकरण उपलब्ध कराये गए हैं अभी हाल ही में हार्मोनिक स्काल्पल नामक इंस्टूमेंट उपलब्ध कराया गया है जिसके बदौलत बडी से बडी सर्जरी करने में सहूलियत मिल रही है; सर्जरी करने वाली टीम में प्रमुख रूप से ईएनटी सर्जन डॉ मोहम्मद अषरफ, डॉ यास्मीन सिदृदीकी के अलावा सीनियर रेसीडेंट अंकिता खुजूर, जूनियर रेसीडेंट डॉ विनीता, डॉ विकास, डॉ हर्श, डॉ षीतल की भूमिका महत्वपूर्ण रही; वहीं एनेस्थीसिया टीम में डॉ सलेहा, डॉ अवी, डॉ बाला और डॉ अमरनाथ का सहयोग रहा;
आइये सुनते हैं डॉ अषरफ से हुई बातचीत के प्रमुख अंष
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