डिप्टी सीएम के गृह जिले में एंबुलेंस सेवा पस्त, ढाई घंटे तक एंबुलेंस वाहन की आश में लाइन पर बने रहने का मिलता रहा आश्वासन, कैंसर पीड़ित को भोपाल के लिए किया गया था रेफर
मरीज को एंबुलेंस वाहन उपलब्ध कराने के लिए डिप्टी सीएम के ओएसडी, मेडिकल कॉलेज के डीन, सीएमएचओ तक को करनी पड़ी मशक्कत
रीवा। प्रदेश की एंबुलेंस सेवा पूरी तरह से बदहाल हो चुकी है। कैंसर पीड़ित मरीज को रीवा से भोपाल एम्स के लिए रेफर किया गया था। परिजनों द्वारा इसके लिए एंबुलेंस की सुविधा चाही गई थी। लेकिन ढाई घंटे तक परिजनों को सिर्फ लाइन में बने रहने के लिए बोला जाता रहा। इतना ही मरीज को एंबुलेंस वाहन उपलब्ध कराने के लिए श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर मनोज इंदुलकर, जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर संजीव शुक्ला, सीएमओ डॉक्टर अतुल सिंह, सीएमओ डॉक्टर यत्नेश त्रिपाठी, सहित कई जिम्मेदार लोग लगे रहे उसके बावजूद भी समय पर एंबुलेंस वाहन नही उपलब्ध हो पाया। यहां तक की प्रदेश के उपमुख्यमंत्री चिकित्सा एवम स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला के ओ एस डी भी इस काम में व्यस्त बताए गए। भोपाल के अधिकारियों से भी इस बाबत संपर्क साधा गया ।फिलहाल करीब तीन घंटे कड़ी मशक्कत के बाद मरीज को एंबुलेंस वाहन मिल पाया।
बता दे की मरीज अनिल तिवारी कैंसर रोग से पीड़ित है जिनका उपचार संजय गांधी अस्पताल के आईसीयू में चल रहा था। हालत में सुधार न होने पर उन्हें भोपाल एम्स के लिए रेफर किया गया । मरीज को भोपाल ले जाने के लिए एंबुलेंस सेवा 108 पर फोन किया गया। जिसमे एंबुलेंस सेवा प्रदान करने वाले कर्मचारियों अधिकारियों द्वारा लाइन पर बने रहने की बात कहकर तसल्ली दी जाती रही। मरीज की हालत पल प्रतिपल नाजुक होती जा रही थी। ऐसी स्थिति में यह माना जा सकता है की यह तो एक उदाहरण मात्र है, प्रदेश भर में एंबुलेंस सेवा की हालत खस्ता बताई जा रही है। ऐसे में सरकार का मरीजों की जान बचाने का उद्देश्य पूरा होता नही दिख रहा है जबकि हर वर्ष इस योजना के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं। बड़ी बात तो ये है की डिप्टी सीएम के गृह जिले में भी एंबुलेंस सेवा मरीजों को न मिलना गंभीर चिंता का विषय है।
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