साढ़े छह लाख के काम के एवज में सी ई ओ ने मांगे थे रिश्वत में 5 लाख
इंदौर लोकायुक्त ने की कार्रवाई
हद हो गई : साढ़े छह लाख के निर्माण कार्य के लिए सीईओ ने मांगी थी 5 लाख की रिश्वत, लोकायुक्त ने दबोचा
अवैधानिक रूप से पैसे कमाने की लालच में आकर एक जनपद सीईओ ने अपना कैरियर ही तबाह कर लिया। हद तो ये की साढ़े छह लाख रुपए के निर्माण कार्य के एवज में ही जनपद सीईओ 5 लाख की रिश्वत मांग बैठा। और लोकायुक्त के हाथो रंगे हाथ पकड़ा गया। मामला बड़वानी जिले के सेंधवा जनपद पंचायत का है जहा पदस्थ सीईओ रविकांत उईके को इंदौर लोकायुक्त ने 5 लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है।
काबिलेगौर है की सरकार लाख कोशिश करे लेकिन रिश्वतखोर अफसर बाज नहीं आते। पैसे कमाने की भूख के आगे सारी मर्यादाएं लांघ रहे है। .हद ये है कि 6 लाख 50 हजार रुपये के निर्माण कार्य के लिए CEO 5 लाख रुपये की रिश्वत मांग रहे थे।जब पीड़ित ने इस पर ऐतराज जताया तो CEO ने उसे धमकी भी दी। मजबूरी में पीड़ित ने इसकी शिकायत लोकायुक्त से की। मामले को गंभीरता से लेते हुए लोकायुक्त DSP प्रवीण सिंह बघेल ने टीम गठित की और रिश्वतखोर पंचायत सीईओ (Panchayat CEO) को रंगे हाथ पकड़ लिया।
जानकारी के अनुसार मनरेगा योजना के अंतर्गत ग्राम जुलवानिया में स्थित स्कूल में बाउंड्री वॉल निर्माण के लिए सरकार से पैसा स्वीकृत हुआ था। निर्माण के बाद जनपद पंचायत के सीईओ रविकांत उईके इंस्पेक्शन करने पहुंचे थे। इस दौरान उनको जांच में पता चला कि बाउंड्री का निर्माण स्वीकृत राशि के अनुसार नहीं हुआ है। भ्रष्टाचार का खुलासा होने पर सीईओ रविकांत उइके ने सहायक सचिव सुनील ब्राह्मणे को मनरेगा एक्ट की धारा 92 के तहत पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाने की धमकी दी। ये बात सुनते ही सचिव भयभीत हो गया और अपने बचने की गुहार लगाने लगा। सीईओ रविकांत ने कार्रवाई से बचने के लिए उससे रिश्वत के तौर पर 5 लाख की मांग की। जिसके बाद ही सुनील ब्राह्मणे ने मामले की शिकायत लोकायुक्त में कर दी. बाद में योजना के मुताबिक ब्राह्मणे नोटों से भरा बैग लेकर रविकांत के पास पहुंचा. जिसके बाद रविकांत ने अकाउंट ऑफिसर राकेश पवार को उक्त राशि से भरा बैग अपनी कार की डिक्की में रखने को कहा।राकेश पवार ने जैसे ही बैग को कार की डिक्की में रखा वैसे ही लोकायुक्त पुलिस ने छापा मारा और रविकांत के साथ-साथ राकेश पवार को भी गिरफ्तार कर लिया। लोकायुक्त के मुताबिक रविकांत बीते 10 सालों से सरकारी नौकरी में है। लेकिन इस कार्रवाई ने उसे सड़क पर ला खड़ा कर दिया।
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